Success Story: आइये आज हम जानते हैं एक ऐसे सीईओ के बारे में जिनका सफर बहुत ही कठिन रहा है. हरियाणा के एक छोटे से कस्बे से निकल कर एक आईटी कंपनी के सीईओ तक का सफर. हम बात कर रहे हैं डेलॉइट ग्लोबल के सीईओ बनने वाले पुनीत रंजन जी के बारे में। उनके घर की स्थिति अच्छी नहीं थी. उनके माता पिता की भी स्थिति अच्छी नहीं थी इसके बावज़ूद भी वो मेहनत करते रहे और निरंतर मेहनत करने से ही आज वो आईटी कंपनी के सीईओ बनने वाले हैं.
उन्होने बहुत सारी मुश्किलों के बाद भी अपनी पढ़ाई को जारी रखाऔर कई मुश्किलों के बाद डेलॉइट में नौकरी पाई।
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कहते हैं अगर कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी आपको सफल होने से रोक नहीं सकता. हरियाणा के एक छोटे कसबे से निकल आईटी कंपनी डेलॉइट ग्लोबल के सीईओ बनने वाले पुनीत रंजन की सोच को पूरी दुनिया लोहा मानती है. पुनीत रंजन ने मेहनत करके फर्श से अर्श तक का सफर किया है. उनकी ज़िन्दगी में एक समय ऐसा था जब उनके पास स्कूल की फीस भरने के भी पैसे नहीं थे. उस वक़्त उनकी आर्थिक स्थिति बिलकुल भी अच्छी नहीं थी. लेकिन कहते हैं जिनके अंदर कुछ करने की क्षमता होती है, सपने उनके ही सच होते हैं.
इस लाइन को सच बनाया है पुनीत रंजन जी ने | उनकी सारी स्टडी रोहतक में ही हुई है.
मुश्किलों भरा सफर
हरियाणा के एक छोटे से गांव में जन्मे पुनीत रंजन का बचपन का सफर काफी अभाव में बीता था. उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. उनके माता पिता की भी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. उन्हें स्कूल की फीस भरने में भी काफी परेशानी होती थी. यह उनकी ज़िन्दगी में एक ऐसा समय था की उनके माता पिता के पास उन्हें अच्छे स्कूल में भेजने के भी पैसे नहीं थे. पर फिर भी पुनीत रंजन ने हार नहीं मानी और मेहनत करते रहे और आज इतनी बड़ी आईटी कंपनी के सीईओ बनने जा रहे हैं.
आईटी कंपनी के सीईओ तक कैसे पहुंचे ?
उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. पुनीत बचपन से ही अपने घर की आर्थिक स्थिति अच्छी करना चाहते थे. इसलिए वो एक नौकरी की तलाश में थे.
उन्होने एक अख़बार में नौकरी का विज्ञापन देखा और दिल्ली आ गए। पुनीत ने नौकरी के साथ साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। इसी बीच में उन्हें विदेश में पढ़ाई करने के लिए स्कालरशिप भी मिल गई और यही से उनकी ज़िन्दगी बदल गयी.
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पुनीत रंजन सिर्फ दो जोड़ी जींस और कुछ ही पैसे लेकर अमेरिका चले गए. वहां जाकर उन्होने पोस्ट ग्रेजुएशन की. सबसे अहम बात यह है की उनकी प्रतिभा की पहचान तब हुई जब एक स्थानीय पत्रिका में 10 सर्वश्रेष्ठ छात्रों में उनका चयन हुआ. इसके बाद उनकी प्रतिभा को लोगों ने पहचाना। इसके बाद उनकी प्रतिभा को डेलॉइट कंपनी ने पहचाना और इंटरव्यू के लिए बुलाया. साल 1989 में उन्होने डेलॉइट को ज्वाइन किया।
कैसे बने CEO ?
हमारी जानकारी के मुताबिक , पुनीत ने डेलॉइट में 33 से भी ज्यादा काम किया। आखिरकार, पुनीत की मेहनत रंग लाई और उन्हें डेलॉइट ने साल 2015 में अपना CEO बना दिया. आखिरकार उनकी प्रतिभा रंग लाई. पुनीत साल 2015 से लेकर 2022 तक डेलॉइट कंपनी के सीईओ रहे. डेलॉइट कंपनी में लगभग 2 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं.